Thursday, January 13, 2011

कश्मीर के भारत का ताज नहीं मस्तक है

में कई दिनों से देश के सभी प्रमुख न्यूज चेनलो को बहुत गहराई से देख रहा था की बीजेपी के अलावा कोई और भी है क्या जो कश्मीर के मुख्यमंत्री जनाब उम्र अब्दुला के बयान की निंदा करे । पर दुर्भाग्य मेरा कहे या इस देश का की न तो कोई अरुंधती राय आगे आई और नाही इस देश की सबसे बड़ी पार्टी और सरकार की तरफ से कोई वक्तव्य आया की कश्मीर के मुख्यमंत्री को अपना बयान वापिस लेना चाहिए और कश्मीर के लाल चोक पे तिरंगा फहराने वालो का स्वागत करना चाहिए । यह बहुत ही नानिदानिया है की कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है यह बात सभी कहते है पर लाल चौक पे तिरंगा फहराने की बात पे सब अपनी दम को पीछे दबा कर कुत्तो की तरह भाग जाते है । सबसे पहले तो में एक बात को स्पष्ट करना चाहूँगा की कश्मीर भारत का मुकुट नहीं मस्तक है अगर कश्मीर को भारत से अलग करने के कुत्सित प्रयास किये जाते है तो इसका मतलब सीधा और साफ़ है की हमसे हमारा मस्तक काट के अलग करने का प्रयत्न किये जा रहे है । अगर मुकुट चला जाता है तो फिर भी इंसान जिन्दा रह सकता है अगर सर काट दिया जाये तो जिन्दा नहीं रह सकता । भारत से कश्मीर अलग होने का मतलब है इस देश की हत्या । लेकिन जब तक देश में राष्ट्रवादी ताकते जिन्दा है कश्मीर को भी ताकत भारत से अलग नहीं कर सकती ॥ आज देश में आतंकवादी ताकते राज कर रही है जो अंग्रेजो से और मुगलों से भी खतरनाक है जो इस देश की गरीब जनता का पैसा खेलो के नाम पर घोटाले ,२ जी स्पेक्ट्रम घोटाला ,आदर्श घोटाला ,यह घोटालो में डूबी सरकार को इस देश और जनता की नहीं अपने युवराज की चिंता ज्यादा है की जैसे तैसे इस देश के सांप्रदायिक एकता के ताने बाने को तोडा जाये और मुस्लिम वोटो को हिन्दू आंतकवाद के नाम पर कांग्रेस के वोटो की तरफ लाया जाये । दोस्तों जब जब कमजोर नेतृत्व आया है देश को कई दसक पीछे ले गया है और आज तो पूरा सिस्टम ही कमजोर और फटी जेब वाला है । मेरे को एक लाइन याद आगई की "बर्बादे गुलिस्ता करने को एक उल्लू ही काफी है पर यंहा तो हर दल पे उलू बेठे है ।

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