Friday, February 14, 2014

देश के समक्ष चुनोतिया और  भारतीय राजनीती 

 आज हिंदुस्तान के समक्ष हजारो चुनोतिया है  जिनसे निपटना इस देश के लिए अवश्यम्भावी है  . 
 जाती वाद ,क्षेत्रवाद ,साम्प्रदायिकता ,कश्मीर समस्या ,चीन का बार बार भारतीय सीमा में घुसना ,बेरोजगारी,भ्रष्टाचार।  और ऐसी ही हजारो समस्या है जिनसे निपटना इस देश के लिए चुनौती बन रही है 
एक छोटी सी घटना सांप्रदायिक दंगो में बदल जाती है।  मुझहफर कि घटना ने जंहा पुरे देश को झकझोर के रख दिया वंही कश्मीर में सेना के जवानो  का पाकिस्तानी सेना के द्वारा सर काटना और फिर हमारे गृह मंत्री का बयान। 
मित्रो  में आज मुख्या रूप से कश्मीर समस्या पे बात करना चाहता हूँ।  देश कि आजादी के बाद रियासतो के एकीकरण का काम मुख्यरूप से सरदार बलभ भाई पटेल को दिया गया और उन्होंने बहुत ही चतुराई से लगभग सभी रियासतो को साम दाम दंड भेद से हिंदुस्तान में विलय कर लिया।  पर जो आज कि प्रमुख समस्या  है कश्मीर समस्या उसके विलय का काम स्वयं प. जवाहर लाल नेहरू ने अपने हाथ में लिया। और इसी एक रियासत को आज समस्या के रूप में देश को तोहफा दे गए।  और दुबारा गलती यह कि कि इसी संयुक्त राष्ट्र में ले गए।  और मित्रो गलतियों का पिटारा यंही खत्म  होने वाला नहीं और कश्मीर को धारा 370 के अंतर्गत विशेष सुविधा इस प्रकार कि दी कि वो देश में होते हुए भि……… . कश्मीर ही एक ऐसा राज्य है जंहा दो झंडे दो संविधान बनाये गए।  मित्रो इसी धरा 370 के अनुसार हम कोई भी वंहा कोई जमीन नहीं खरीद सकते। एक प्रकार से देश से अलग सा ही मामला हो गया। .... और तो और इस राज्य में कश्मीरी पंडितो को मार मार के भगाया गया है।  दोस्तों आज इस देश को सबसे ज्यादा जरुरत है धरा 370 को हटाकर कश्मीर को दी जेन वाली सभी विशेष सुविधा हटा ली जाये। . या फिर सेना को और भी ज्यादा अधिकार दिए जाये और जो भी आँख इस देश कि तरफ बुरी नजर से देखे उन आँखों को नोच ले। ज़ो नापाक हाथ बढे उन हाथो को जड़ मूल से नष्ट कर दे। … जरुरत है एक मजबूत इच्छा शक्ति कि राजनीती कि मजबूत नेतृत्व कि। … और यह नेतृत्व अभी तो यही लगता है कि नरेंद्र मोदी ही दे सकते है 

Thursday, January 13, 2011

कश्मीर के भारत का ताज नहीं मस्तक है

में कई दिनों से देश के सभी प्रमुख न्यूज चेनलो को बहुत गहराई से देख रहा था की बीजेपी के अलावा कोई और भी है क्या जो कश्मीर के मुख्यमंत्री जनाब उम्र अब्दुला के बयान की निंदा करे । पर दुर्भाग्य मेरा कहे या इस देश का की न तो कोई अरुंधती राय आगे आई और नाही इस देश की सबसे बड़ी पार्टी और सरकार की तरफ से कोई वक्तव्य आया की कश्मीर के मुख्यमंत्री को अपना बयान वापिस लेना चाहिए और कश्मीर के लाल चोक पे तिरंगा फहराने वालो का स्वागत करना चाहिए । यह बहुत ही नानिदानिया है की कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है यह बात सभी कहते है पर लाल चौक पे तिरंगा फहराने की बात पे सब अपनी दम को पीछे दबा कर कुत्तो की तरह भाग जाते है । सबसे पहले तो में एक बात को स्पष्ट करना चाहूँगा की कश्मीर भारत का मुकुट नहीं मस्तक है अगर कश्मीर को भारत से अलग करने के कुत्सित प्रयास किये जाते है तो इसका मतलब सीधा और साफ़ है की हमसे हमारा मस्तक काट के अलग करने का प्रयत्न किये जा रहे है । अगर मुकुट चला जाता है तो फिर भी इंसान जिन्दा रह सकता है अगर सर काट दिया जाये तो जिन्दा नहीं रह सकता । भारत से कश्मीर अलग होने का मतलब है इस देश की हत्या । लेकिन जब तक देश में राष्ट्रवादी ताकते जिन्दा है कश्मीर को भी ताकत भारत से अलग नहीं कर सकती ॥ आज देश में आतंकवादी ताकते राज कर रही है जो अंग्रेजो से और मुगलों से भी खतरनाक है जो इस देश की गरीब जनता का पैसा खेलो के नाम पर घोटाले ,२ जी स्पेक्ट्रम घोटाला ,आदर्श घोटाला ,यह घोटालो में डूबी सरकार को इस देश और जनता की नहीं अपने युवराज की चिंता ज्यादा है की जैसे तैसे इस देश के सांप्रदायिक एकता के ताने बाने को तोडा जाये और मुस्लिम वोटो को हिन्दू आंतकवाद के नाम पर कांग्रेस के वोटो की तरफ लाया जाये । दोस्तों जब जब कमजोर नेतृत्व आया है देश को कई दसक पीछे ले गया है और आज तो पूरा सिस्टम ही कमजोर और फटी जेब वाला है । मेरे को एक लाइन याद आगई की "बर्बादे गुलिस्ता करने को एक उल्लू ही काफी है पर यंहा तो हर दल पे उलू बेठे है ।

Saturday, October 23, 2010

हिन्दू आंतकवाद या कश्मीर जैसे मुद्दों से ध्यान हटाने का षड़यंत्र

जो लोग सदियों से हिंसा के खिलाफ रहे है । तथा अंहिंसा के पुजारी है । क्या वो धर्म के नाम से आंतकवाद फैला सकते है । मुझे नहीं लगता की यह हो सकता है हिन्दू हमेसा से सहिष्णु और विश्व बन्धुत्वा की भावना के साथ ही पैदा होता है । वो कभी आंतकवादी नहीं होता । कांग्रेस पार्टी के युवराज जो मन ही मन में इस देश के प्रधानमंत्री बनाने का खवाब पाले बेठे है और इस देश के मुस्लिमो को अपना सबसे बड़ा वोते बैंक बनाने के लिए अपने भाषण में बोल बेठे की संघ और सिमी दोनों एक तरह के संघठन है । उसके दुसरे दिन ही भरता के गृह मंत्रालय का बयां आता है की संघ और सिमी दोनों की विचारधार एक जैसी नहीं हो सकती । संघ अखंड भारत के निर्माण की पवित्र विचार के साथ काम करता है । जबकि सिमी भारत विभाजन जैसे कुत्सित विचार के साथ काम करता है ॥ पर इसमे राहुल जैसे मदमस्त नेता की कोई गलती नहीं है क्योंकि उसके दिमाग में तो बस एक ही विचार है की जैसे तैसे मुस्लिम वोट कांग्रेस के साथ हो जाये ॥ और राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी के नेतृत्वा में काम कर रही भारत की सी बी आई और इन्ही के एक महत्वपूर्ण और ख़ास आदमी हमारे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्वा में काम कर रही ऐ टी एस ने एक नया सगुफा छोड़ा है हिन्दू आंतकवाद .... संघ के प्रचारको को निशाना बनाना और मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत करने के लिए हिन्दू आंतकवाद के नाम से संघ के प्रचारको को आंतकवादी घोषित करना । अभी अजमेर धमाको की चार्ज शीट में संघ के एक ऐसे व्यक्ति का नाम लिया है जिसकी कोई कल्पना ही नहीं कर सकता .... और हाँ उस व्यक्ति ने राष्ट्रवादी मुस्लिमो के लिए एक मंच भी बना रखा है ..जिसमे हिन्दू और मुस्लिम लोग मिलाकर राष्ट्र को मजबूत बनाने के लिए काम करते है ... इस व्यक्ति का नाम है इन्द्रेश जी ... ऐसे देवता स्वरुप इंसान का नामइस में घसीट कर निश्चित रूप से पुरे राष्ट्रवादी भारतीय समाज को ही बदनाम करने का प्रयत्न किया जा रहा है । और हाँ इनका नाम आने के साथ ही राजस्थान के गृह मंत्री ने ठीक अपने लोगो के विपरीत कहा की लश्कर ऐ तोयबा कुछ लालची हिन्दुओ को लालच देकर अपने साथ मिला रही है । तो इन बातो से यह तो साफ़ होता है की ऐसे कार्यो में आर एस एस का होना नामुमकिन है । या यूँ कहे की संघ का नाम इन कार्यो में घसीटने के पीछे हिंदुस्तान के सबसे महत्वपूर्ण अंग कश्मीर की तरफ से ध्यान हटाना तो नहीं या अराष्ट्र वादी ताकतों की मसीहा सोनिया गाँधी अपना कोई छिपा हुआ एजेंडा तो लागू नहीं कर रही है। आज कश्मीर जल रहा है । कश्मीर का मुख्यमंत्री कहता है की कश्मीर का भारत में विलय नहीं हुआ । में कहता हूँ की यह सब हिन्दू लोगो को और राष्ट्रवादी ताकतों को कमजोर करके कश्मीर मुद्दे से लोगो का ध्यान हटाना है । दोस्तों यह एक प्रकार से मजाक सा लगता है की जिस संघठन का उद्देश्य अखंड भारत का निर्माण कर के भारत माता को परम वैभव पर पहुँचाना हो । और वो हर रोज यह प्रार्थना करते है की भारत विश्व गुरु के सिंघासन पर फिर से विराजमान हो । उसके बारे में ऐसे आरोप लगाना निश्चित रूप से कंही न कंही एक बड़ी साजिश की बू आती है । और कश्मीर को भारत से अलग करने का को षडयन्त्र लगता है । जय हिंद वन्दे मातरम

Thursday, February 4, 2010

उत्तर भारतीय बनाम बांग्लादेसी

महाराष्ट्र की राजनीति में आज कल एक नया सगुफा छिड़ा हुआ है की मराठी मानुस का सबसे बड़ा हितेसी कोन है । और महाराष्ट्र की क्षेत्रीय पार्टिया इस काम को बहुत ही आचे तरीके से निभा रही है । पर यह पार्टिया भूल रही है की मराठी मानुस के नाम से यह लोग भारत की एकता और अखंडता को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचा रहे है । मराठी मानुस के नाम पर यह अपने ही भाइयो को मार काट रहे है । अगर राज ठाकरे और इनके चाचा को अगर मराठी मानुस का भला ही करना है तो निकालो न बांग्लादेसी घुस पेठियो को जो आये दिन महाराष्ट्र में , मुंबई में कभी क्या समस्या पैदा करते है कभी विष्फोट करते है कभी किसी का अपहरण करते है कहने का मतलब है सारे काम देश को नुकसान पहुँचाने वाले करते है । राज भैया इस देश को और आपके और हमारे प्यारे महाराष्ट्र को किसी भी उत्तर भारतीय से नुकसान नहीं होगा । राज ठाकरे के देखा देखी शिव सेना भी अपना मराठी वोट बैंक को खिसकता देखकर मराठी मानुस के भलाई का ढिंढोरा पीटने लगी । देखा जाये तो महाराष्ट्र के स्थानीय कानून पहले स ही इतने सख्त है की उनमे महाराष्ट्र के अलावा और कंही का मानुस फिट ही नहीं होता । पर कांग्रेस को महाराष्ट्र में शिव सेना को कमजोर करना था तो इसे यह मोका स्वयं शिव सेना ने ही दे दिया और राज के रूप में कांग्रेस को अपना एक मजबूत एजेंट मिल गया । क्योंकि कोंग्रेस तो उत्तर भरियो की खिलाफत कर नहीं सकती क्योंकि वो तो एक राष्ट्रीय पार्टी है । अगर वो ऐसा कुछ करेगी तो उसे पुरे हिंदुस्तान में नुकसान होगा ...... हाय मेरे देश की राजनैतिक पार्टिया ..... जिन्हें देश प्रेम से ज्यादा वोट का प्रेम है । राज ने अगर इसे बंग्लादेसियो को निकालने का आन्दोलन बनाते तो देश का प्रत्येक युवा उनको अपना रोल मॉडल मानता और हर आदमी यह सोचता की हाँ यह आदमी इस देश का प्रधान मंत्री बने तो देश का भला हो सकता है । पर सस्ते वोट बैंक को प्राप्त करने के चकर में यही रास्ता ठीक लगा । में अब भी कहता हूँ की महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों से कोई नुकसान नहीं होगा हाँ यह अब भी कहता हूँ की अगर कोई नुकसान होगा तो बंग्लादेसियो से होगा .... जो लगता है की अभी तो बांग्लादेसी बनाम उत्तर भारतीये में लगता है की अभी तो बांग्लादेसी भारी है ..... पर जब तक हिन्दुस्तान में संघ की शक्ति है ऐसे कृत्या संघ कभी नहीं होने देगा । और सही समय पर संघ ने अपने स्वयं सेवको से उत्तर भरियो की रक्षा करने का आदेस देकर एक बार संघ ने अपनी सामाजिक सरोकार की भूमिका निभाई ॥ जय हिंद

Wednesday, February 3, 2010

उत्तर भारतीय बनाम बंगलादेशी

महाराष्ट्र में आजकल हर पार्टी ने मराठी मानूस का राग अलापने में अपने आपको सबसे बड़ा साबित करने में लगी है । और लगता है महाराष्ट्र हिंदुस्तान से भी बड़ा हो गया महारष्ट्र के नेताओं ने मराठी मानुस के नाम से अपने ही भारतीये भाइयो को प्रताड़ित करने में लगी है । और इस काम को सबसे ज्यादा अंजाम दे रहे है कांग्रेस के एजेंट के रूप से काम कर रहे महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे और उनके गुर्गे और उनके इस राग में सुर से सुर मिलाना अपनी मजबूरी समझ रही है शिव सेना , और इनका मूक दर्शक बन कर साथ दे रही है कांग्रेस । इन पागल लोगो को समझाया जाये की मुंबई में पहले से जितने कानून है उन सब में मुंबई के अलावा और कोई कंही का आदमी फिट ही नहीं हो सकता । पहले से ही महाराष्ट्र के सभी कानून मराठियों के हिसाब से उन्ही को सुविधा देने के लिए बनया गया है । राज अगर वास्तव में ही अपने आपको मराठी मानूस का हितेषी बताता है या है तो महाराष्ट्र को उत्तर भारतीयों से कोई खतरा नहीं है और नहीं उत्तर भारतीय कभी वंहा कोई विष्फोट करने वाले है । मुंबई और इस देश को बचाना है तो राज भैया महाराष्ट्र में अनगिनत बांग्लादेसी रहते है जो गेर कानूनी काम करते है महाराष्ट्र में विष्फोट करते है निकलना है तो उनको निकालो देश आपको सलाम करेगा । आपका यह मराठी मानूस का राग जो जो आप अलाप रहे हो कृपया करके बंद करो इसे यह तो अपने ही भाइयो को मारने वाला और इस देश को राज्यों के नाम से तोड़ने वाला कदम है । पर राज को तो सिर्फ वोटो से मतलब है और कांग्रेस इस बात को अच्छी तरह से जानती है । सिव सेना का वोट बैंक अगर तोडा जा सकता है तो मराठी मानुस के नाम से ही तोडा जा सकता है इस लिए कांग्रेस ने अपने अगेंट के रूप में राज ठाकरे को खड़ा किया क्योंकि ऐसा कांग्रेस तो कर नहीं सकती क्योंकि वो तो एक राष्ट्रीय पार्टी है ऐसा करने से उसे हिंदुस्तान के हर राज्य में नुक्सान हो सकता है । में फिर कहना चाहता हूँ की कृपया करके आपस में लड़ने का काम बंद करो इन बंग्लाद्सी घुस्पेथियो को निकालो वरना न तो मराठी मानुस रहेगा और नहीं कोई उतर या दक्षिण भारतीय रहेगा ...... और इस संकट काल में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का बयान स्वागत योग्य है । जय हिंद ....... राज्यों की आपस में जय बोलेंगे तो नुक्सान होगा हिंदुस्तान की कीमत पर राज्य के हितो को छोड़ना होगा । किसी ने कहा है की अगर पूरी दुनिया को बचाने के लिया एक देश एक देश को बचने के लिए एक राज्य और एक राज्य को बचने के लिए एक जिले और जिले को बचने के लिए एक गाँव की बलि दे जा सकती है । आज हमें किसी की बलि देने की आवश्यकता नहीं है हमें आवश्यकता है तो बस इतनी की इस देश के सामने जो बंगलादेशी घुसपेठ की समस्या है उसे निजात दिलाने के लिए किसी न किसी राज्य को आगे आना होगा। भारत माता की जय .

Saturday, January 30, 2010

कांग्रेस में युवा नैतृत्व या अनुकम्पा नियुक्तिया

हिंदुस्तान की राजनीति में आज कल एक नया सगुफा चाल रहा है । और कांग्रेस पार्टी ने इस काम को अंजाम देने के लिए अपने ४० वर्षीय युवराज यानि की राहुल गाँधी को बाग़ डोर दे रखी है । आज कांग्रेस या अन्य पार्टियों की युवा ब्रिगेड पर नजर डालते है ... । सबसे पहले बात करते है राहुल गाँधी की यह स्व श्री राजीव गाँधी के पुत्र है तथा इनकी माता श्री मति सोनिया गाँधी है , इनकी दादी श्री मति इन्दिरा गाँधी है... । अब इनकी ही टीम के कुछ और अन्य नेताओं की बात करते है .... सचिन पायलेट पुत्र स्व.श्री राजेश पायलेट , ज्योतिरादित्य सिंधिया पुत्र स्व.श्री माधवराव सिंधिया ,अगाथा संगमा पुत्री श्री पी ऐ संगमा (एन सी पी ),... उदहारण और भी बहुत है , कांग्रेस पार्टी और उसके सभी सहयोगी दलोंमें यह अनुकम्पा नियुक्ति का खेल युवाओ को अवसर देने के नाम पर हिंदुस्तान के यूथ को किस प्रकार कांग्रेस के वोट बैंक में बदला जाये यह कांग्रेस के नेता भली भांति जानते है । बस आज के युवा को यूथ के नाम पर सिर्फ बरगला रहे है कोंग्रेस और उनके सहयोगी दलों में या तो उन युवा नेताओं को मोका मिल रहा है जिनके माता पिता कांग्रेस के नाता रहे है और अब या तो भगवान् को प्यारे हो गए या फिर सेवानिवृत हो गए है । कांग्रेस पार्टी ने परिवार वाद को नए कलेवर में पेश किया है और दुर्भाग्य इस देश का की जनता इसे स्वीकार भी कर रही है । पर दोस्तों एक कहावत भी है की काठ की हांड़ी बार बार चूल्हे पर नहीं चढ़ती वो तो सिर्फ एक बार ही चढ़ती है , बात करे भारतीय जनता पार्टी की वंहा आपको राजनीति करने के लिए किसी नाता के परिवार से होना जरुरी नहीं है वंहा तो आवश्यकता है सिर्फ इमानदारी से काम करने वाले युवा लोगो की । जिनके दिल में माँ भारती के लिए सामान हो ... भारतीय जनता पार्टी देखा जाये तो आज भी परिवारवाद के इस डांस से बची हुई है । में हिन्दुस्तान के युवा लोगो से कहना चाहता हूँ की दोस्तों अगर राजनीति करनी है और आपके परिवार के लोग पोलिटिक्स में नहीं है तो भारतीये जनता पार्टी से सही विकल्प और कोई नहीं है । आज वर्तमान युवा लोगो की इस सरकार में आम आदमी का जीना दुस्वार हो गया है महंगाई किस कदर बढ़ रही है ... चीनी ५० रु किलो देशी घी ४०० रु , आलू २० रो,किलो महंगी चीजो की लिस्ट बहुत लम्बी है यह तो उदहारण स्वरुप लिखे है। पर आपलोग कहोगे की इनसे युवा नेतृत्वा का क्या दोष यंहा भी में एक बात कहना चाहूँगा की "जिनकी न फटे बिवं वो की अजाने पीर पराई " यह सब सोने के थाली में भोजन करने वाले लोगो की सरकार है जिसमे चांदी के गिलास में पाणी पिने वाले युवराज सामिल है उन्हें क्या पता की आम आदमी किस मेहनत करके अपने परिवार का पेट पालता है । जय हो कांग्रेस के युवा नेतृत्वा की जय हो

Sunday, August 2, 2009

भारतीय शिक्षा पद्दति और राष्ट्रवाद

भारत एक प्राचीन राष्ट्र है और उतनी ही समृद्ध यंहा की संस्कृति । प्राचीन काल में तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय में पुरी दुनिया के लोग अध्यन कराने आते थे । और यंहा का साहित्य भी बहुत ही समृद्ध रहा है या यूँ कहे की है भी तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी । मुग़ल आक्रमणकारियों ने सबसे पहले यंहा की सांस्कृतिक और शेक्षणिक सम्पति को नष्ट कराने का कार्य किया । कहा जाता है की मुगलों ने तक्षशिला और नालंदा विश्व विद्यालयों के पुश्ताकाल्यो को जलाया तो वो लगातार छः माह तक जलते रहे । उस समय की शिक्षा थी राष्ट्रवाद और रोजगार पर आधारित । मेरा यंहा कहने से तत्प्रिया यह नही है की उस काल में हमारे राष्ट्र के साथ क्या हुआ और क्या नही हुआ । आज में यंहा जो कहना चाह रहा हूँ वो है की आज की शिक्षा पद्दति से हमे नही तो रोजगार उपलब्ध होता है और नही राष्ट्रीय गोरव का । हमारी शिक्षा पद्दति मेकाले की शिक्षा पद्दति है । जब हम स्कूल में पढ़ते थे तो हमारे सामाजिक की किताबो में जो पाठ हुआ करते थे उनमे से एक पाठ का नाम था अकबर महान , में पूछना चाहता हूँ की उस बाल मन को हमे यह पढाना चाहिए की अकबर महान ? वो बाल मन तो अकबर को महान समझेगा और महाराणा प्रताप को दोषी । क्योंकि हम लोगों ने अकबर को महान बताया है और महान के सामने युध्ध ककरने वाला दोषी ही होगा । यह तो मेने एक छोटा सा उदहारण पेश किया है । हमारी शिक्षा पद्दति भारतीय होनी चाहिए । हमे हमारे बच्चो को अकबर की जगह महाराणा प्रताप की महानता के पाठ पढाने चाहिए जिसने अपनी जन्म भूमि और अपने लोगो के लिए राज पट छोड़ दिया और अत्याछ्री अकबर की आधीनता स्वीकार नही की और संघर्ष किया । आज की शिक्षा पद्दति हमे गुलामी के पाठ पढाती है । हमारी मानशिकता भी गुलाम लीगों की और हमे क्लेर्क बनाने वाली इस शिक्षा पद्दति को मजबूत मानशिकता के साथ हम लोगो को बदलना चाहिए ................ । तुष्टि करण को राष्ट्र हित में हम लोगो को छोड़ना ही पड़ेगा । वरना इस राष्ट्र के यह नो जवान नो जवानों की खाल में अंग्रेजो की गुलाम शिक्षा पद्दति से शिक्षित गुलाम ही इस देश के कारण धार होंगे । राष्ट्र के हित में हम सब को अपने छदम स्वार्थो की बलि देनी ही होगी ...... । । हम सब को गर्व होना चाहिए की हम महाराणा प्रताप ,शिवाजी , तात्या टोपे , सुभाष चंद्र बॉस ,भगत सिंह जैसे वीरो की इस धरती पर पैदा हुए है जिन्होंने सर तो कटा लिए लेकिन कभी सर झुकाया नही ....... ।