Saturday, July 11, 2009

आज का युवा और राजनीतिक पार्टिया

भारत की राजनीति में आजकल एक बहुत ही दमदार सगुफा चल रहा है । हर राजनीतिक पार्टी युवा नेतृत्व को आगे लाने की बात कर रहा है । इस मामले में राहुल गाँधी को आगे कर के कांग्रेस में इस सगुफे को पुरे हिन्दुस्तान में बहुत आसानी से भुना लिया और भारतीय जनता पार्टी पीछे रही । पर देखा जाए तो कांग्रेस में अपने युवा नेतृत्वा के फार्मूले की सचाई तो यह है की कांग्रेस तो एक प्रकार से अनुकम्पा नियुक्ति दे रही है । उन्ही नेता पुत्रो या पुत्रियों को आगे कर रही है जिनके माता पिता पहले से कांग्रेस या राजीनीति में थे । कोई अपनी मेहनत से जनता के बीचमें रहकर जनता के लिए काम करने वाले युवा नेताओं को आगे नही किया है । इस मामले में भारतीय जनता पार्टी ज्यादा ठीक है उसमे ऐसी बात नही है कोई भी युवा कार्यकर्ता अपनी मेहनत के बलबूते पर आगे बढ़ सकता है कांग्रेस का यंगिस्तान एक प्रकार से दिखावा है और अनुकम्पा नियुक्ति है । जबकि भारतीय जनता पार्टी में निश्चित रूप से कांग्रेस से कम युवा आगे आए है पर यह सही है जो आए है वो सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी मेहनत से आगे आए है । एक बात तो तय है की वास्तव में अगर युवा लोगो को इस देश में इस राज्य में नेतृत्वा करना है तो उनको भारतीय जनता पार्टी से अच्छा कोई विकल्प नही है क्योंकि कांग्रेस में नेतृत्वा कराने के लिए किसी नेता की संतान होना जरुरी है .....

Friday, July 3, 2009

समलैंगिक रिश्तो को कानूनी मान्यता ? हम भारतीये है ?

दिल्ली हाई कार्ट के द्वि सदस्यों ने कल अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में समलैंगिक रिश्तो को कानूनी मान्यता यह कहते हुए देदी की यह धारा ३७७ संविधान के अनुछेध १४ ,२१, व १५ का अतिक्रमण है । तथा व्यस्क व्यक्ति अपनी इच्छा से समलैंगिक रिश्ते रख सकता है । समलैंगिंक रिश्ते मानशिक रूप से विकृत व्यक्तियों का रोग है । और इस रोग को फैलाने की इजाजत भारतीये समाज में तो कदापि नही मिलनी चाहिए । भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विराशत है और विश्व के सभी राष्ट्र भारतीये संस्कृति से प्रेरणा लेते है । हजारो विदेशी शोधकर्ता हिंदुस्तान की इस पवन धरा भारतीये संस्कृति पर शोध करने आते है । क्या हम मानसिक रूप से विकृत पाश्चात्य सभ्यता को अपनाने जा रहे है । अगर इन संबंधो को व्यक्तिगत स्वतंत्रता मानते हुए न्यायालय ने इन संबंधो को मान्यता दी है तो फिर तो इच्छा मृत्यु को खुदखुशी को भी मान्यता देनी चाहिए क्योंकि उसमे भी व्यक्ति अपनी इच्छा से ही मौत को प्राप्त करना चाहता है । हिंदुस्तान में ऐसे फालतू और विकृत मानसिकता के पोषक काननों को मान्यता देना भी किसी आत्महत्या से कम नही है । मुरली मनोहर जोशी ने बहुत सही बात कही है "दो न्यायाधीश भारतीये संस्कृति का भाग्य निर्धारित नही कर सकते "इसी प्रकार धर्मो के नेताओं ने इस निर्णय की कड़े शब्दों में भर्तसना की है । इनमे जमा मस्जिद के इमाम ,मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ,इसाई धर्म के धर्म गुरु डोमोनिक इनामुल आदि ने ........ । में पुनः कहता हूँ की ऐसे संबंधो की हिंदुस्तान की धरा में कोई जरुरत नही है इसके लिए तो और भी सख्त कानून होना चाहिए । यह अपराध की श्रेणी में था , है और रहेगा ॥