Saturday, March 28, 2009
जाति वाद और भारत का युवा
भारतीय राजनीति में आज जातिवाद चरम पर है ,हर छुटभैया नेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए अपने समाज का नेता बन कर अपनी नेतागिरी चमकाने के चक्कर में समाज को तो धोखा दे रहा है साथ ही देश को बहुत बड़ा नुक्सान पहुँचा रहा है। वो दिन भी दूर नही है जिस दिन लोग जातियों के अनुसार राज्यों की मांग कर ले .इस लिए मेरा यह कहना है की हम को हर हाल में इस जाति वाद के राक्षस को रोकना ही होगा यह जहर आपस में समाज को ही नही इस देश को भी तोड़ रहे है । इस जाति वाद के जहर को रोकने के लिए सबसे ज्यादा प्रयत्न किसी के कारगर हो सकते है तो वो है उन जातियों के नेताओं के जो इस जहर को फेला रहे है । और हमारा लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ जिसको हम मीडिया के नाम से जानते है वो अपनी भूमिका इमानदारी से निभाए । और इस देश को इस समस्या से बचाने के लिए जो महत्वपूर्ण और सबसे कारगर कोई हो सकता है तो वो है इस देश का युवा । और राजनितिक पार्टिया । राजनितिक पार्टियों के पास भी कोई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय हित के मुद्दे न होना भी इस देश में जातीय राजनीति को बढ़ावा मिल रहा है । और इस देश का आम नागरिक जबतक इन जातीय नेताओं का बहिष्कार नही करेगा तो यह समस्या और भी बढेगी । पर इस समस्या का समाधान है युवा और शिक्षा । युवा को राजनीति में आना ही होगा आज हर युवा जो कॉलेज में पढ़ रहा है वो कोई तो डॉक्टर ,एन्जिनियेर , शिक्षक , क्लर्क ,और यंहा तक की वो चपरासी भी बनने को तैयार है पर शायद ही कोई स्टुडेंट यह कईकी मेरे को राजनीति करनी है । इस काजल की कोतःरी में युवा को आना ही परेगा इस देश को जाति वाद के इस महाकाल से बचने के लिए ।
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