Friday, May 15, 2009
लेफ्ट राईट है या रोंग ?
कल यानि की १६ मई को इस देश के भाग्य का परिणाम आने वाला है । जनता की अदालत अपना परिणाम तय कर चुकी है कल उस परिणाम की घोसणा हो जायेगी । सरकार भाजपा गठबंधन की बनेगी या कांग्रेस गठबंधन की बनेगी यह तय हो जाएगा । पर एक बात तय है लेफ्ट पार्टिया फिर अपने पुराने साथी कांग्रेस गठबंधन के साथ जायेगी । कहने को तो यह पार्टिया मजदूर और शोषित वर्ग की है । तथा कहते है की यह लेफ्ट पार्टिया एक निश्चित विचारधारा के अनुरूप काम करती है । पर अब इनको सत्ता का स्वाद इनकी जीभ को लग गया है । चार साल सत्ता का सुख भोगने के बाद परमाणु करार के समय यह पार्टिया यु पी ऐ गठ बंधन से अलग हो गयी थी । पर वास्तव में इनका इस गठ बंधन से दूर होने के पीछे जो वास्तविक कारण है वो है इनके क्षेत्र में इनका ख़ुद का कांग्रेस विरोधी होना । और लेफ्ट पार्टिया अपने क्षेत्र में मुख्यतया कांग्रेस के विरोध में जीत कर आती है । और अगर यह गठबंधन में रहते तो इनको सीटो का भी ताल मेल करना पड़ता और कुछ सीट इनको कांग्रेस को देनी पड़ती जो इनको स्वीकार नही होता । तो परमाणु करार इनके लिए एक अच्छा मोका था इस गठ बंधन से दूर होने का और एक अच्छे खिलाड़ी की तरह यह इस देश के लाल खिलाड़ी तुंरत अपना नाता तोड़ लिया । और अगर कांग्रेस इस बार भी अपने गठ बंधन के साथ बड़ा गठ बंधन आता है तो यह लाल झंडे के झंडा बरदार अपना सिफारशी पत्र लिए सबसे आगे मिलेंगे और कहेंगे इस देश को साम्प्रदायिक ताकतों से बचाने के लिए हम यु पी ऐ को समर्थन कर रहे है । इस देश के लोगो को यह भी ध्यान होगा की स्वार्थ सिद्ध कराने में इन लेफ्ट पार्टियों से ज्यादा बड़ा खिलाड़ी कोई नही है । १९६२ में चीन के साथ युद्घ के समय यह इस देश को सांप्रदायिक ताकतों से बचाने वाले लेफ्ट के नेता चीन के सैनिको के लिए तोरण द्वार बना कर स्वागत कराने को आतुर थे । वो तो भला हो इस देश के जांबाज सिपाहियों का जिन्होंने अपनी जान देकर भी भारत माता की लाज बचाई थी । इन लेफ्ट के नेताओं ने तो चीन को अपनी मुक्ति वाहिनी सेना बताया था । यह हमारे देश के लेफ्ट नेता और इनकी विचार धारा । बरस्सत चीन में होती है और छतरी येह तानने वाले इन लेफ्ट का न तो कोई विचार है नही कोई विचारधारा यह तो बस सता के साथ रहना जानते है । .फैसला आपका लेफ्ट राईट है या रोंग
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